HOW HARYANVI SONGS CAN SAVE YOU TIME, STRESS, AND MONEY.

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एकोदरसमुद्भूता एक नक्षत्र जातका। न भवन्ति समा शीले यथा बदरिकण्टकाः॥

आपत्तियों और संकटों से तभी तक डरना चाहिए जब तक वे दूर हैं, परन्तु वह संकट सिर पर आ जय तो उस पर शंकारहित होकर प्रहार करना चाहिए उन्हें दूर करने का उपय करना चाहिए ।

अत्यन्तलेपः कटुता च वाणी दरिद्रता च स्वजनेषु वैरम्। नीच प्रसङ्गः कुलहीनसेवा चिह्नानि देहे नरकस्थितानाम्॥

प्रभूतं कार्यमपि वा तत्परः प्रकर्तुमिच्छति। सर्वारम्भेण तत्कार्यं सिंहादेकं प्रचक्षते॥

जन्म देनेवाला, उपनयन संस्कार करनेवाला, विद्या देनेवाला, अन्नदाता तथा भय से रक्षा करनेवाला, ये पांच प्रकार के पिता होते हैं ।

यो ध्रुवाणि परित्यज्य ह्यध्रुवं परिसेवते। ध्रुवाणि तस्य नश्यन्ति चाध्रुवं नष्टमेव तत् ॥

सत्येन धार्यते पृथ्वी सत्येन तपते रविः। सत्येन वाति वायुश्च सर्वं सत्ये प्रतिष्ठितम्॥



व्यक्ति संसार में अकेला ही जन्म लेता है, अकेला ही मृत्यु को प्राप्त करता है, अकेला ही शुभ-अशुभ कामों का भोग करता है, अकेला ही नरक में click here पड़ता है तथा अकेला ही परमगति को भी प्राप्त करता है ।

त्यजेद्धर्म दयाहीनं विद्याहीनं गुरुं त्यजेत्। त्यजेत्क्रोधमुखी भार्या निःस्नेहान्बान्धवांस्यजेत्॥

भाग्य रंक को राजा और राजा को रंक बना देता है । धनी को निर्धन तथा निर्धन को धनी बना देता है ।

राष्ट द्वारा किये गए पाप को राजा भोगता है । राजा के पाप को उसका पुरोहित, पत्नी के पाप को पति तथा शिष्य के पाप को गुरु भोगता है ।

बहूनां चैव सत्तवानां रिपुञ्जयः । वर्षान्धाराधरो मेधस्तृणैरपि निवार्यते॥

श्लोकेन वा तदर्धेन तदर्धार्धाक्षरेण वा।

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